ज़ख़्म सब खिलने लगे, दिल ने दुखन महसूस की;
रूह ने सीने के अन्दर, इक घुटन महसूस की।
फिर तुम्हारी याद के, काँटों ने लीं अंगड़ाइयाँ;
फिर मिरे दिल ने कुई, गहरी चुभन महसूस की।
बामो-दर करती हुई, रोशन मकाने-फि़क्र के;
दिल के आँगन में उतरती, इक किरन महसूस की।
हमने ज़ौक़े-शायरी से, मुन्सलिक हर वारदात;
इक उरूसे-शब, नवेली इक दुल्हन महसूस की।
दो घड़ी को, लब से लब, बाँहों से बाँहें मिल गईं;
दो घड़ी साँसों ने, साँसों की तपन महसूस की।
रुक गये हम उनकी, यादों के शजर की छाँव में;
इश्क़ के सहरा में दिलकश, जब थकन महसूस की।
रूह ने सीने के अन्दर, इक घुटन महसूस की।
फिर तुम्हारी याद के, काँटों ने लीं अंगड़ाइयाँ;
फिर मिरे दिल ने कुई, गहरी चुभन महसूस की।
बामो-दर करती हुई, रोशन मकाने-फि़क्र के;
दिल के आँगन में उतरती, इक किरन महसूस की।
हमने ज़ौक़े-शायरी से, मुन्सलिक हर वारदात;
इक उरूसे-शब, नवेली इक दुल्हन महसूस की।
दो घड़ी को, लब से लब, बाँहों से बाँहें मिल गईं;
दो घड़ी साँसों ने, साँसों की तपन महसूस की।
रुक गये हम उनकी, यादों के शजर की छाँव में;
इश्क़ के सहरा में दिलकश, जब थकन महसूस की।
ज़ख़्म सब खिलने लगे, दिल ने दुखन महसूस की;
ReplyDeleteरूह ने सीने के अन्दर, इक घुटन महसूस की....क्या बात है.. बेहतरीन !